इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव पूरी तरह से बिजली से चलते और काम करते हैं. वहीं इलेक्ट्रिक इंजन
दूसरे इंजनों की अपेक्षा काफी तेज होते हैं. जानकारी के मुताबिक, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव
लगभग दो डीजल लोकोमोटिव और तीन स्टीम लोकोमोटिव के बराबर होता है.
Indian Railways : भारतीय रेलवे (Indian Railways) विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है.
रेलवे को भारत की लाइफलाइन भी कहा जाता है. प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री ट्रेनों से
सफरकरते हैं. ट्रेनों में सफर करना जहां सबसे ज्यादा आरामदायक माना जाता है, वहीं यह
आपके बजटमें भी होता है. समय बदलने के साथ ही ट्रेन की टेक्नोलॉजी में भी काफीबदलाव
हुआ है. आप में सेशायद काफी लोग इस बात को जानते भी होंगे, कि अभी भारत में इलेक्ट्रिक
और डीजल इंजन चलते हैं. यानी की सभीलोकोमोटिव मशीन हैं, जो कि ट्रेनों को खींचने का
काम करती हैं. पहले से ही इसमें डीजल इंजनों का इस्तेमाल होता आया है. लेकिन इलेक्ट्रिक
लोकोमोटिव आने के बाद वर्तमान में डीजल और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव दोनों का ही इस्तेमाल काम
में किया जा रहा है.
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव : ओवरहेड केबल के माध्यम से लोकोमोटिव को बिजली की सप्लाई की जाती है,
जो अल्टरनेटिंग करंट ले जाती है. वहीं यह केबल एक पावर स्टेशन से जुड़े होते हैं, जो जरूरी बिजली का
उत्पादन भीकरते हैं. एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का पहला चरण पेंटोग्राफ होता है. दरअसल पेंटोग्राफ
ट्रेन के ऊपर लगा हुआ ऐसा इक्विपमेंट होता है, इसमें लगी चीजें ओवरहेड लाइनों को छूते हुए बिजली
कलेक्टकरती हैं. वहीं बिजली लोकोमोटिव की छत पर सर्ज अरेस्टर (Surge Arrester) और वैक्यूम
सर्किटब्रेकर(Vacuum circuit Breaker) के जरिए बस बार (Busbar) के ऊपर चलती है. इन इक्विपमेंट
काइस्तेमाल शॉर्ट सर्किट और ओवररन करंट से इंजनों की सुरक्षा के लिए होता है. भारतीय रेलवे के
इंजन मेंडब्ल्यूएजी-9 सबसे पॉवरफुल बोझ ले जाने वाला लोकोमोटिव है